મારું મંતવ્ય

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Ahmedabad , Gujarat, India
''well wisher women.club'' નામે મારી એક બહેનોની સંસ્થા ચાલે છે.જેમાં બે સહિયારી નવલકથા ''મનસ્વી'' અને ''મીણ પાષાણ'' પબ્લીશ થઇ છે. શબ્દની આરાધના કરવી એ મારો જીવનમંત્ર છે. આવનારી પેઢીને વાંચતા આવડશે પણ લખતા નહિ આવડે!

Thursday, January 19, 2012

कितने कितने ज़ख्म दे रहा है....मुझे याद है वोही मरहम बनके आया था कभी मेरी सुनी जिंदगी में...!

कितने कितने ज़ख्म दे रहा है....मुझे याद है वोही मरहम बनके आया था कभी मेरी सुनी जिंदगी में...! जैसे पंछी खुदको शीशे में देखके चोंच से चोंच मिलाता है...और ख़ुशी से जूम उठता है....कितना बेबस लगता है ये पंछी.....! उसे कहा पता है ये तो सिर्फ एक आभास है,वास्तविकता नहीं....पता नहीं ये अहेसास क्या चीज़ है...कभी फूलो जैसा मखमली लगता है, तो कभी कंटक जैसी चुभन...! या अल्लाह कभी किसी को ऐसी चुभन मत देना...बिन बादल बारिश क्यों दिखता है...तृषा से मर जाना आसन है,पर जल दिखा के मृगजल साबित करना कहाँ का न्याय है...! continue...